11 कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ
कबीर साहेब जी के उपदेश
कबीर साहेब जी ने समाज से बुराइयों को दूर करने के लिए कई बातों पर जोर दिया। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
- उन्होंने लोगों को इस परम वास्तविकता से अवगत कराया कि ईश्वर रूप में है। अल्लाह, खबीरा, खुदा, राम जैसे विभिन्न धर्मों में भगवान की पूजा करने के लिए कई शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
- उन्होंने समानता पर जोर दिया और हिंदुओं और मुसलमानों को यह समझाने के लिए बहुत कुछ किया कि वे समान हैं।
- उन्होंने मूर्ति पूजा को खारिज कर दिया क्योंकि यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी सबूत दिया कि पुजारी केवल भगवान के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं।
- उन्होंने 84 लाख जीवों से छुटकारा पाने के लिए गुरु के महत्व का वर्णन किया।
कबीर साहेब जी ने हिंदुओं और मुसलमानों को यह समझाने के लिए कई दोहे बोले कि कबीर साहेब जी स्वयं सर्वोच्च ईश्वर हैं। और, हिंदू और मुस्लिम में कोई अंतर नहीं है। अपने श्लोकों के माध्यम से, उन्होंने प्रमाण के साथ स्पष्ट किया कि कोई भी नकली और मानव निर्मित प्रथाओं को करने से मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है।
हमने यहा पे ११ कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ सहित प्रोवाइड किये है
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ |
🌺" हाड जले लकड़ी जले, 🌺जले जलावन हार🌺 ।
🌺कौतिकहारा भी जले, 🌺कासों करूं पुकार" 🌺॥
समसान में हड्डीया जल जाती है, लकड़िया जल जाती है । एकदिन उन्हें जलाने वालेभी जल जाते है जो दाहकर्म को देखता है वोभी जल मरता है कहा पुकार को जाय अर्थात मुत्यु से कोई नही बच सकता वो अटल है
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ |
🌺"चाल बकुल की चलिहे, 🌺बहुरि कहावे हँस 🌺।
🌺ते मुक्ता कैसे चुगे,🌺 पड़े काल के फंस"🌺 ।।
जो लोग बगुले की तरह धूर्त होकर स्वयम को हंस कहते हैं। वे मोती नही चुन सकते क्योंकि वे मोती कंकर का भेद नही कर सकते क्योंकि वे स्वयम पाखंड में डुब कर जीवन मुत्यु के बंधन में बंधे पड़े है
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ |
🌺"माला तिलक लगाय के,🌺 भक्ति न आई हाथ 🌺।
🌺दाढ़ी मुछ मुड़ाय के,🌺 चले दुनि के साथ" 🌺।।
माला पहन लेने ओर तिलक लगा लेनेसे कोई साधु नही बन जाता ओर दाढ़ी मुछ कटवाकर दुनिया के साथ चलने से भी मुक्ति नही मिलती मुक्ति ओर भक्ति आत्मसयंम से जगती है
🌺"मन मेला तन ऊजला, 🌺बगुला कपटी अंग 🌺।
🌺तासु तो कौआ भला, 🌺तन मन एकहि अंग" 🌺।।
जिनका मन काला ओर सरीर ऊजला हो वो बगुले के समान कपटी ओर खतरनाक होते है। ऐसे लोगो से कौआ
अच्छा होता है जो बाहर भीतर दोनो तरफ से काला होता है
🌺"आया प्रेम कहा गया,🌺 देखा था सब कोई🌺
🌺छिन रोवे छीन में हसे, 🌺सो तो प्रेम न होय" 🌺।।
प्रेम पैदा होकर फ़ौरन लुप्त हो जाये तो वह अस्थाई होता है । प्रेम में क्षण में खुस होना ओर क्षण में आंसू बहना अपने आपको छलना है। इसे प्रेम नही कहा जा सकता
🌺"जाघट प्रेमन सचरे,🌺 सुघट जानु मसान 🌺।
🌺जैसे खाल लुहार की,🌺 सास लेहीत बिन प्राण"🌺 ।।
जिस व्यक्ति के मन में प्रेम नही होता उसका शरीर समसान के समान होता है जैसे मृत पशू की खाल से बनी धौकनी बिना प्राण के सास लेती है।
🌺"गोता मारा सिंधु में,🌺 मोती लाये पैठी🌺 ।
🌺वो किया मोती पाएंगे,🌺 रहे किनारे बैठी" 🌺।।
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ |
जो सागर में गोता लगाने का साहस रखता है। वही मोती पा सकता है किनारे पे बेठा रहने वाला कभी मोती नही पा सकता अर्थात प्रेम का सागर गहेरा ओर अबूझ है। साहसी उसमे कूद लगा सकते है ओर प्रेम रूपी मोती पा सकते है।
🌺"अधिक सनेही माचरी,🌺 दुजा अलब सनेह🌺।
🌺जबहि जलते बिछुरै, 🌺तभी त्यागे देह"🌺।।
मछली का जलसे गहेरा स्नेह होता है इस के आगे सारे प्रेम स्नेह बोने है जल से अलग होते ही मछली अपने प्राण तियाग देती है सच्चे प्रेम ऐसे ही होते है
🌺"जब मेंथा तब गुरु नही,🌺 अब गुरु है में नाही 🌺।
🌺प्रेम गली अति सकरी, 🌺तामें दोना समाइ"🌺 ।।
जब मुजमे अहंकार ओर अन्य विकार भरे थे तब रिदय में गुरुका वास नही था अब केवल गुरु है बाकी विकार नष्ठ हो गए है प्रेम की गली इतनी सकरी है की इसमे दो चीजे नही समा सकती अर्थात निर्छल प्रेम से गुरु ओर शिष्य एकाकार हो गये है
🌺"काल करे सो आज कर, 🌺आज करे सो अब🌺 ।
🌺पलमें प्रलय होयगी,🌺 बहुरि करेगे कब"🌺 ।।
कल के सारे काम आज करलो ओर आज के अभी कियुकि समय का कोई भरोसा नही पता नही कब प्रलय हो जाए इस लिए सुभ काम को आज कल पर मत डालो फ़ौरन कर डालो
🌺"ऊंचा महेल चुनिया, 🌺सुबरन कली ढूलाय 🌺।
🌺वे मंदिर खाली पड़े,🌺 रहे मसाना न जाय" 🌺।।
रहने के लिए आलीशान महल बनवाये उनकी अच्छी सजावट करवाई लेकिन वह सबके सब खाली हो गए ओर महेल वाछि समसान में जाकर बस गए अर्थात काल से कोई नहि बच सकता
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